शर्म करो झारखण्ड सरकार

 नया नियमावली : 

विधि विभाग मुख्यमंत्री दफ्तर को अवहित कराया था नया नियमावली  संविधान के Article 14 & 16  प्रावधान के अनुरूप नहीं है। इसके बाद भी  यह नियम कैबिनेट में पास हो गया, मुख्यसचिव का यह दायित्व था कैबिनेट को यह समझाना कि यह नियम संविधान के प्रावधान के अनुरूप नहीं है।


  


पिछले सरकार में भी ऐसा ही हुआ था,उन लोगों को सब मालूम रहता है,लेकिन गवार सरकार के दवाव मे  झुक जाते हैं।  महाधिवक्ता,मुख्यसचिव, कार्मिक सचिव  सभी को पता होता है कि यह नियम कोर्ट में चैलेंज होगा,फिर भी उनके हाथ द्वारा साइन होकर पास हो जाते हैं, और भुगते हम लोग हैं। ओर ईसवार तो कोर्ट के चक्कर मे किसी भी नियुक्ति का लम्वा खिचना त्यय हे।


 ऐसा नहीं चल सकता है, कोई भी नियम कैबिनेट से राज्यपाल के पास जाएगा,उनका यह देखना काम है कि वह नियम संविधान के अनुरुप है कि नहीं। अभी हम लोग को एक प्रतिनिधिमंडल बनाकर राज्यपाल को इसविषय में अवहित करना चाहिये।


 अगर इससे भी कुछ नहीं हुआ तो हम लोग को  इस विषय में जड़ित हर सचिव को respondent करके कोर्ट में याचिका दायर करना चाहिए कि - ईये नया नियम संविधान के  प्रावधान के अनुरूप नहीं है तो विधि विभाग से आपत्ति के वावजुद उच्च अधिकारिक स्तर पर ईये साईन किउ हो गया ? - ता कि भविष्य में अधिकारिक लोग नौकरी के उम्मीदवारों के जिंदगी से बार-बार खिलवाड़ ना कर सके।

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